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4th Semester SEC Education
REFLECTIVE LEARNING / चिंतनशील शिक्षा
Unit 1
अधिगम कैसा होता है: संदर्भगत चिंतन, आलोचनात्मक चिंतन, सृजनात्मक चिंतन, विचारात्मक चिंतन
अधिगम का अर्थ: अधिगम का तात्पर्य एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत व्यक्ति के व्यवहार में अनुभव अभ्यास प्रशिक्षण के अंतर्गत उसके अंदर परिवर्तन इंगित होता है प्रत्येक प्राणी अपने जीवन में कुछ ना कुछ सीखता है जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है उतना ही अधिक उसके जीवन का विकास होता है बालक प्रत्येक समय और पृथ्वी किस स्थान पर कुछ ना कुछ देखती रहती है|
उदाहरण के लिए जब एक छोटे बालक के सामने जलता हुआ दिया रखा जाता है तो वह उसकी लौ को पकड़ने की कोशिश करता है जिस कोशिश में उसका हाथ भी जल जाता है। अगली बार जब भी कभी उसके सामने कोई जलता हुआ दिया रखेगा तो वह अपने पिछले अनुभव के आधार पर उसकी लौ को पकड़ने की कोशिश नहीं करेगा क्योंकि उसे पता है कि लो पकड़ने से उसको दर्द महसूस होगा।
अधिगम की परिभाषायें :
बुडवर्थ के अनुसार - ‘‘सीखना विकास की प्रक्रिया है।’’
B.F.स्किनर के अनुसार - ‘‘सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है।’’
जे॰पी॰ गिलर्फड के अनुसार - ‘‘व्यवहार के कारण, व्यवहार में परिवर्तन ही सीखना है।’’
कालविन के अनुसार - ‘‘पहले से निर्मित व्यवहार में अनुभवों द्वारा हुए परिवर्तन को अधिगम कहते हैं।’’
सीखने के विभिन्न दृष्टिकोण
सीखने को अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार से परिभाषित किया गया है। सीखने की सबसे प्रारंभिक व्याख्या अरस्तु जैसे कई दार्शनिकों ने की थी। उन्होंने पूर्व ज्ञान को बहुत महत्व दिया उनके अनुसार हम केवल तब ही सीख सकते हैं जब हमें पहले से किसी चीज का ज्ञान हो। अरस्तु ने कहा कि हम चीजों को एक साथ याद कर सकते हैं जब या तो वह सामने हो या वह विपरीत हो|
1. सीखने का व्यवहारवादी दृष्टिकोण - व्यवहारवाद के अनुसार पर्यावरण से प्राप्त उत्तेजना और व्यक्ति की अवलोकन योग्य प्रतिक्रिया के बीच संबंधों के कारण का पता लगाना है|
इस सिद्धांत को कुत्ते पर पावलोक के प्रयोग द्वारा समझाया गया है जिसमें भोजन को उद्दीपक के रूप में प्रयोग किया गया था और उसको पुराने उद्दीपक के साथ जोड़ा गया था जो अब 1 घंटी थी|| जब उन्हें घंटी बजाना शुरू किया तो कुत्ते की लार नहीं टपकी, यह घंटे की आवाज उद्दीपक है। फिर उस कुत्ते को खाना खिलाया गया जिसकी प्रतिक्रिया कुत्ते की लार को टपकाना था| भोजन के बाद फिर से घंटे का बजाया गया और इस बार कुत्ते लार टपका ना शुरू कर दिया| इस प्रयोग से आप समझ सकते हैं कि कुत्ते की मानसिकता में बदलाव आया और उसे पता चला कि घंटे के बाद उसे भोजन दिया जाएगा| इसीलिए कुत्ते ने लार टपका शुरू कर दिया|
सापेक्ष में व्यवहारवादी विचार के अनुसार सीखने को इस प्रकार देखा गया है-
1 ज्ञान एक निश्चित इकाई है जिसके लिए उद्दीपक बाहर से प्राप्त किया जा सकता है|
2 सीखने का अभिप्राय केवल तथ्यों कौशल एवं अवधारणाओं का अर्जन करना है|
3 शिक्षण से तात्पर्य इन्हीं तथ्यों कौशल एवं धारणाओं को हस्तांतरित करना है|
4 शिक्षार्थी ज्ञान का निष्क्रिय प्राप्तकर्ता है| वह शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान के सक्रिय श्रोता एवं दिखाई गई दिशा के अनुयाई होते हैं|
5 शिक्षक एक पर्यवेक्षक या प्रबंधक की भूमिका में होता है जो ज्ञान का हस्तांतरण करता है और गलत जवाब को सही करता है|
6 सीखने के व्यवहार वाले दृष्टिकोण में साथियों की भूमिका का आकलन नहीं किया गया है|
सीखने के संज्ञानवादी दृष्टिकोण-
मानसिक संरचना पर जोर दिया जिसे व्यवहारवादी ने पूरी तरह अनदेखा कर दिया था| 1950 के दशक के अंत में विकसित हुआ| यह सिद्धांत कंप्यूटर से प्रभावित है| यह कंप्यूटर की तुलना में मानव मस्तिष्क से करता है कंप्यूटर की तरह ही हम भी किसी सूचना के संसाधन है जो ज्ञान को अवशोषित करते हैं उस पर संज्ञानात्मक कार्य करते हैं और इसे हम अपनी स्मृति में रखते हैं|
इस दृष्टिकोण में हम ज्ञान का अर्जन करते हैं और इस ज्ञान में परिवर्तन ही हमारे व्यवहार में परिवर्तन का कारण बनता है इसीलिए संज्ञानात्मक मनोविज्ञान में व्याख्यान विधि महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि यह शिक्षार्थियों को शिक्षक द्वारा दिए गए ज्ञान का निष्क्रिय प्राप्तकर्ता मानती है| शिक्षक विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने असफल होने एवं गहराई से सोचने के अवसर दे सकते हैं|
सापेक्ष में संज्ञान वादी विचार के अनुसार सीखने को इस प्रकार देखा गया है-
1 ज्ञान निश्चित है और इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमें बाहरी उद्दीपक को की आवश्यकता होती है परंतु जब हम जानकारी को संसाधित करते हैं तो हमारा पूर्व ज्ञान इससे प्रभावित होता है|
2 सीखना तथ्य कौशल अवधारणा और रणनीतियों का अर्चन है और इसको प्राप्त करने के लिए हमें रणनीतियों के प्रभावी अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है|
3 शिक्षक ज्ञान का हस्तांतरण है| शिक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थियों को अधिक सटीक और पूर्ण ज्ञान की ओर ले जाना है|
4 शिक्षार्थी सूचना के सक्रिय संसाधन रणनीति निर्माता और उपयोग करता है वही सूचना को आयोजक और पुनर्गठित करते हैं|
सीखने का संरचनावादी दृष्टिकोण -
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के बाद संरचनावाद 1970 और 1980 के दशक में उभर कर सामने आया| इस सिद्धांत के अनुसार शिक्षार्थी ज्ञान के निष्क्रिय प्राप्त करता नहीं है बल्कि वे सक्रिय रूप से ज्ञान का निर्माण करते हैं| जीन पियाजे और व्यगोत्सकी इस विचारधारा के महत्वपूर्ण सिद्धांत कार थे जो सीखने की संरचनात्मक प्रकृति का समर्थन करते थे प्याजे का मुख्य रूप से सरोकार किसी व्यक्ति के ज्ञान विश्वास स्वयं धारणा एवं अस्मिता से है इस बात पर जोर देते थे कि एक व्यक्ति कैसे अपना ज्ञान विश्वास और धारणा के आधार पर सीखता है दूसरी तरफ व्यगोत्सकी का मुख्य सरोकार सामाजिक अंतर क्रिया एवं संस्कृति है जो किसी व्यक्ति को कुछ सिखाने एवं उसके व्यक्तिगत विकास को आकार देने में मदद करती है|
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