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5th SEMESTER HINDI GE
CHAPTER 5 प्रयुक्ति की अवधारणा विविध प्रयुक्ति क्षेत्र
"प्रयुक्ति" शब्द प्रयुक्त" से बना है जिसका अर्थ है प्रयोग में लाया गया। भाषा के क्षेत्र में "प्रयुक्ति'" शब्द अंग्रेजी के “रजिस्टर" (Register) शब्द का हिंदी पर्याय है। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में “रजिस्टर" वस्तुतः एक पारिभाषिक शब्द है और अब तक आपने रजिस्टर के जो अर्थ पढ़े या जाने हैं उनसे भिन्न अर्थ का द्योतक है।
भाषा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है समाज भाषाविज्ञान (Socio-linguistics) इसके अन्तर्गत भाषा का सामाजिक संदर्भों में विवेचन और अध्ययन किया जाता है। “रजिस्टर" शब्द समाज भाषा विज्ञान का पारिभाषिक शब्द है जो भाषा के भीतर पाए जाने वाले रूपभेदों (Variations) का प्रतीक है।
प्रसिद्ध समाजभाषा वैज्ञानिक हैलिडे (Halliday) के अनुसार रजिस्टर भाषा की उन प्रयोगाश्रित विविधताओं (Varieties according to the use) को कहा जाता है जो किन्हीं विशिष्ट स्थितियों अथवा विषय क्षेत्रों में प्रयुक्त भाषा के रूपभेदों को प्रकट करती हैं।
जीन एट्चिसन (Jean Atichison) का मानना कि रजिस्टर भाषा की विशेषीकृत शैलियाँ (Specialised styles) हैं जो भाषा प्रयोग की परिस्थिति पर आधारित होती हैं। भाषा प्रयोक्ता इन शैलियों को स्थिति विशेष के अनुरूप प्रयोग करता है। इस तरह कुछेक विशिष्ट स्थितियों अथवा विषय क्षेत्रों की विशेषीकृत भाषा को "प्रयुक्ति" कहा जाता है।
विशिष्ट स्थितियाँ अथवा विषय क्षेत्र भाषा प्रयोक्ता की निजी सामाजिक विशिष्टताओं (जैसे उसकी शिक्षा-दीक्षा, सामाजिक वर्ग आदि) से भिन्न होती हैं। दूसरो शब्दों में कहा जा सकता है कि ये विशिष्ट स्थितियाँ भाषा प्रयोक्ता के सामाजिक संदर्भों से उत्पन्न होती हैं। यानी व्यक्ति किससे, कहाँ, किस विषय में बात कर रहा है या लिखित संप्रेषण कर रहा है इसके अनुरूप है|
उदाहरण के लिए निम्नलिखित तीन वाक्यों को देखिए:
· यदि आप अंदर पधारेंगे तो आपका बहुत आभारी होऊँगा।
· कृपया अंदर पधारें।
· अंदर आओ।
तीन वाक्यों में अत्यधिsक औपचारिक शैली से लेकर नितांत अनौपचारिक शैली के प्रयोग पर गौर कीजिए।
समाज में जीवन संदर्भों की विविधता होती है और इन जीवन संदर्भों की आवश्यकताओं, कार्य पद्धतियों और उद्देश्यों के अनुरूप इनकी भाषा में भी विशिष्टता उत्पन्न होती है जीवन संदर्भों की विशिष्टता के अनुरूप भाषा में विकसित व्यवहारपरक रूपभेद (Variants) भाषा प्रयुक्ति निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए वैज्ञानिक, चिकित्सक, व्यापारी, वकील, इतिहासविद, खिलाड़ी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जिस भाषा रूप का इस्तेमाल करते हैं वह समान नहीं होता।
लेकिन एक ही भाषा का इस्तेमाल करते हुए भी उनकी भाषा में एक खास तरह का अंतर होता है। यह अंतर उनके व्यवसाय की भाषायी विविधताओं के कारण उत्पन्न होता है। विज्ञान, विधि, व्यापार या चिकित्सा के अपने-अपने प्रयोग संदर्भ, शब्दावली और शैली होती है जो इन क्षेत्रों की भाषा को एक खास स्वरूप प्रदान करती है। इस तरह प्रयुक्ति किसी सामाजिक संदर्भ द्वारा निर्मित विशिष्ट भाषा रूप है।
समाचार पत्रों में बाजार भाव पढ़ते समय सोना उछला, चांदी लुढ़की, गेहूं में तेजी, जीरा भड़का, चावल टूटा जैसे विशेष प्रयोग देखने को मिलते हैं।
भौतिकी क्षेत्र में: उष्मा, ध्वनि, नाभिकीय, ऊर्जा, विद्युत, चुंबक, सुचालक इत्यादि।
रसायन के क्षेत्र में: इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन, परमाणु, अणु, कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन इत्यादि।
गणित के क्षेत्र में: वर्ग, धन, जोड़, घटाव, गुणा, भाग, समकोण, त्रिभुज, अनुपात, चतुर्भुज इत्यादि।
इतिहास के क्षेत्र में: हड़प्पा सभ्यता, मुगल काल, सल्तनत नवाब, मोहनजोदड़ो इत्यादि।
कहानी के क्षेत्र में: शिक्षा जगत, परियां, चोर डाकू की कहानी इत्यादि।
भूगोल के क्षेत्र में: मानचित्र, अक्षांश, देशांतर इत्यादि।
बैंक के क्षेत्र में: बजट, रोकड़ा, बचत खाता, मुद्रा, ड्राफ इत्यादि।
प्रयुक्ति के विविध क्षेत्र- प्रयुक्ति का क्षेत्र आज बहुत ही व्यापकता प्राप्त कर गया है। प्रयुक्ति के विविध क्षेत्र हैं। साहित्यिक कृतियों, ज्ञान, विज्ञान, व्यवसाय और व्यवहार आदि से सम्बद्ध सामग्री को एक भाषा (या भाषा-भेद) से दूसरी भाषा (या भाषा भेद) तक पहुँचाने का नाम अनुवाद है और यह अनुवाद जब विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त किया जाने लगता है तब इसे प्रयुक्ति के नाम से जानते हैं। प्रयुक्ति के निम्नलिखित क्षेत्र माने जा सकते हैं-
1. सर्जनात्मक साहित्य - सर्जनात्मक साहित्य में प्रयुक्ति को अपनाया जाता रहा है। इस श्रेणी में महाकाव्यों, कविता-संग्रहों, कहानी संकलनों उपन्यासों, निबंधों नाटक आदि का अन्य भाषाओं में अनुवाद होता रहा है। एक जमाने में तो सबसे अधिक सारा का सारा अनुवाद कार्य साहित्यिक अनुवाद का ही होता रहा है। इस प्रकार साहित्य भी प्रयुक्ति का क्षेत्र रहा है। अनुवाद के माध्यम से किसी देशी या विदेशी भाषा की प्राचीन या अर्वाचीन श्रेष्ठ तथा कालजयी रचनाओं का परिचय पूरी दुनिया के पाठकों को मिल जाता था। यह अनुवाद की सर्जनात्मक साहित्य में प्रयुक्ति है। इस प्रकार सर्जनात्मक क्षेत्र में प्रयुक्ति का पर्याप्त योगदान है।
2. धार्मिक और पौराणिक साहित्य- धार्मिक और पौराणिक साहित्य में भी प्रयुक्ति को देखा जा सकता है। धार्मिक और पौराणिक साहित्य किसी भी देश का अहम हिस्सा रहा है। ऐसे साहित्य का अनुवाद उसी देश की प्राचीन भाषा से आधुनिक भाषा में भी हो सकता " है। जैसे भारत में वेद, पुराण, उपनिषद्, गीता, आदि का संस्कृत से और जैन तथा बौद्ध धर्मिक साहित्य का प्राकृत अपभ्रंश, तथा पालि से आधुनिक भारतीय भाषाओं में हुआ है। ऐसा साहित्य एक देश की भाषा से दूसरे देश की भाषा में भी अनूदित होता है। जैसे हम बाइबिल, कुरान, तथा गीता आदि के विभिन्न विदेशी भाषाओं में अनुवाद के प्रसंग में देखते हैं। इस प्रकार प्रयुक्ति का क्षेत्र धार्मिक और पौराणिक साहित्य भी रहा है।
3. दार्शनिक साहित्य- अनेक देशों में दार्शनिकों के विचारों, चिंतन तथा सिद्धांतों के परिचय के दार्शनिक साहित्य का अनुवाद बहुत उपयोगी रहा है। पश्चिम में प्लेटो से लेकर आज तक का दार्शनिक साहित्य सभी प्रमुख भाषाओं में अनुदित हो चुका है। भारतीय दर्शन के प्रमुख ग्रंथों का भी भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है। इस प्रकार प्रयुक्ति का क्षेत्र दार्शनिक साहित्य भी है।
4. समाजविज्ञान संबंधी साहित्य-समाजविज्ञान संबंधी अनुदित साहित्य में समाज विज्ञान राजनीतिविज्ञान, इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि से संबंधित अनुवाद को भी शामिल किया जा सकता है। इस तरह कहा जा सकता है कि प्रयुक्ति का क्षेत्र समाज विज्ञान संबंधी अनुदित साहित्य में समाज विज्ञान राजनीतिविज्ञान, इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि भी है।
5. शोध सामग्री - प्रयुक्ति के विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य को भी स्थान मिलता रहा है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अनुवाद के क्षेत्र शोध सामग्री भी है। वस्तुतः प्रयुक्ति के कारण ही हमें विभिन्न शोध सामग्री का पता चलता है क्योंकि इसमें अनुवाद करने की आवश्यकता पड़ती है। ज्ञान तथा विज्ञान की दुनिया जो इतनी तेजी से हमारे साथ जुड़ती जा रही है इसका एक कारण अनुवाद भी है। क्योंकि इस क्षेत्र में जो विषय सामग्री एकत्र की जाती है उसके लिए अनुवाद की भी आवश्यकता पड़ती है। यानी अनुवाद का प्रयोग शोध सामग्री में भी होता है, इसलिए यह भी प्रयुक्ति का क्षेत्र है।
6. पत्रकारिता- पत्रकारिता भी प्रयुक्ति का विषय रही है। समाचार समितियों द्वारा किसी अन्य भाषा में उपलब्ध कराई गई सामग्री को अपनी भाषा में प्रस्तुत करने के लिए पत्रकार अनुवाद का आश्रय लेते हैं। दुर्भाग्यवश हिंदी भाषा के समाचार पत्रों को तो लगभग अनुवाद पर ही जीवित रहना पड़ता है। इस प्रकार प्रयुक्ति पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनाई जाती है।
7. व्यापार व्यवसाय संबंधी समझौते तथा पत्राचार ऐसे समझौते तथा संबंध जब 1 दो भिन्न भाषाएँ बोलने वाले समूहों या प्रतिष्ठानों के बीच होते हैं तब उनकी लिखा-पढ़ी द्वैभाषिक होती है और उसमें अनुवाद का प्रयोग होता है। इस प्रकार व्यापार संबंधी समझौते और पत्राचार भी प्रयुक्ति का क्षेत्र है।