DU SOL NCWEB 5th Semester History (Issues in 20th-Century World History I ) Unit 4 फासीवाद और नाजीवाद | Part - 2

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Issues in 20th-Century World History I

Unit 4 फासीवाद और नाजीवाद Part-2



जर्मनी में नाजीवाद


> नाजीवाद, जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर की एक विचारधारा थी तथा एडोल्फ हिटलर को नाजीवाद का संस्थापक कहा जाता है। नाजीवाद सरकार एवं आम जनता के मध्य एक नए रिश्ते के पक्ष में था जिसकी शुरुआत जर्मनी में हुई थी। कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद, देशप्रेम, विदेशी विरोधी, आर्य एवं जर्मन हित' नाजीवाद की विचारधारा के मूल अंग हैं। अर्थात नाजीवाद फासीवाद का एक उग्र रूप है जिसका उद्देश्य राष्ट्रवाद को सर्वोच्चता प्रदान करना है।

जर्मनी में हिटलर

> नाजीवाद का उदय सर्वप्रथम जर्मनी में हुआ था, जिसकी शुरुआत एडोल्फ हिटलर ने की थी। बीसवीं सदी के शुरुआती दौर में जर्मनी को एक शक्तिशाली साम्राज्य माना जाता था। इस दौरान जर्मनी ने ऑस्ट्रेलियाई साम्राज्य से संधि करके पहला विश्व युद्ध लड़ा था जो सन 1914 -18 के मध्य लड़ा गया था।

> इस युद्ध के परिणाम स्वरुप जर्मनी की आर्थिक स्थिति पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा जिसके कारण वहां नाजीवाद का उदय हुआ।

> हिटलर चाहता था कि जर्मनी दोबारा से एक महान और शक्तिशाली साम्राज्य बनकर विश्व के सामने उपस्थित हो इसीलिए उसने नाजीवाद विचारधारा को अपनाया और जर्मनी को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया ।

> जर्मनी में हिटलर ने कई सामाजिक कार्यक्रम चलाए जिनके कारण नाजीवाद की गति में वृद्धि हुई हिटलर के द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रमों की मदद से जर्मनी के नागरिकों को समान रूप से अधिकार वह सम्मान दिलाना चाहता था।

> धीरे-धीरे इस प्रक्रिया को जर्मनी के सभी नागरिकों ने समर्थन दिया जिसके फलस्वरूप जर्मनी में नाजीवाद का उदय तेजी से होने लगा। सन 1933 में एडोल्फ हिटलर के सत्ता में आने के पश्चात जर्मनी में तानाशाही की शुरुआत हुई जिसे | नाजीवाद के रूप में भी जाना जाता है।


जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारण

> वर्साय की संधि- प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय संधि जर्मनी के लिये राष्ट्रीय अपमान के कारण बन गई। इस संधि के द्वारा जिस तरह जर्मनी के भौगोलिक क्षेत्र उससे अलग कर दिये गये, और उसकी सैना पंगु कर दिया गया, उसके आर्थिक संसाधन छीनकर उससे विलग कर दिए गए, उससे भी बढ़कर संधि की धारा 231 के अनुसार उसे युद्ध अपराधी ठहराया गया। यह सब स्वाभिमानी जर्मन जाति के लिए अत्यन्त निराशा, लज्जा और राष्ट्रीय अपमान की बात थी। जर्मनी के युवा वर्ग में यह भावना व्याप्त हो गई थी कि जर्मनी के समस्त संकटों एंव दुःखों का एकमात्र कारण वर्साय की संधि है। जर्मनी ने इसे अत्यन्त दबाव में स्वीकार किया था।

>  जर्मनी के युवक समझते थे कि जर्मनी का पुनरोद्धार हिटलर और उसकी नात्सी पार्टी ही कर सकती है। हिटलर और उसके साथियों ने इसका लाभ उठाया। वर्साय संधि का विरोध करना हिटलर के भाषणों का प्रमुख तत्व होता था। आवेश में गरज कर जब वह कहता था कि हमें वर्साय संधि का नाश करना है तो जनसमूह आंदोलित हो उठता था। हिटलर के उदय से पूर्व यद्यपि जर्मनी की समस्याए काफी सीमा तक कम हो गई थी। उसे राष्ट्रसंघ की सदस्यता मिल गई थी, उसकी भूमि से विदेशी सेना हट चुकी थी, क्षतिपूर्ति का दायित्व भी लगभग समाप्त हो चुका था, किन्तु जर्मन लोग वर्साय के अपमान को अपने मन-मस्तिष्क से दूर नहीं कर पा रहे थे वे इसका बदला लेना चाहते थे। इसके लिए उन्हें हिटलर जैस महानायक जरूरत थी।


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