DU SOL NCWEB 5th Semester History Unit 3(B) रूसी क्रांति का दौर तथा रूस तथा विश्व पर उसका प्रभाव | Issues in 20th C World History I Unit Notes

 THE LEARNERS COMMUNITY

5th Semester History (Issues in 20th C World History I)

3(b)  रूसी क्रांति का दौर तथा रूस तथा विश्व पर उसका प्रभाव


सन् 1917 की रूसी क्रांति के कारण एवं महत्व- रूसी क्रान्ति विश्व की महान क्रान्ति थी। यह क्रान्ति फ्रांस की क्रान्ति की तरह महत्वपूर्ण थीजिसने जनता में प्रजातांत्रीय भावनाएं विकसित की इस क्रान्ति से राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव पडे।

(A) राजनीतिक प्रभाव (Political Results)

1. राजवंश का समाप्त होना - यूरोप के अन्य राष्ट्रो की भांति रूस में भी राजतन्त्र चला आ रहा था। यह राजतंत्र इंग्लैण्ड में चल रहे सत्रहवीं शताब्दी के राजतंत्र से कम नहीं था। अतः इस क्रान्ति ने यहाँ की जार शाही को समाप्त कर दिया। निकोलस द्वितीय की दशा इंग्लैण्ड शासक चार्ल्स प्रथम तथा लुई सोहल की जैसी हुई। राजतन्त्र के स्थान पर रूस में समाजवादी शासन व्यवस्था की स्थापना हुई।

2. युद्ध की समाप्ति - प्रथम महायुद्ध जो 1914 में चल रहा थावह युद्ध रूसवासियों के लिये समास हो गया। लेनिन ने जर्मनी से ब्रेस्टलियवस्ककी सन्धि करके युद्ध की समाप्त कर दी। इसका फल यह हुआ कि रूस के सैनिक व्यर्थ की युद्ध को ज्वाला से बच गए।

3. पूंजीपति राष्ट्रों की नाराजगी - रूस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा केवल मित्र राष्ट्रों की तुष्टि के लिये की थीजब लेनिन ने मित्र राष्ट्रों से बिना पूछे संधि कर ली तो उनका नाराज होना स्वाभाविक ही था। वे नहीं चाहते थे कि रूस जर्मनी से सन्धि कर ले। इसी कारण इंग्लैण्डफ्रांस व अमेरिका रूस के विरोधी हो गए। इसके अतिरिक्त जब रूस में साम्यवाद प्रबल होने लगातो विश्व के सभी पूंजीवादी देश रूस के कट्टर शत्रु हो गये और यह शत्रुता आज भी विद्यमान है। परन्तु संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के प्रेसीडेन्ट निक्सन ने रूस के साथ मैत्री सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया। पूंजीवादी साम्यवाद का संघर्ष आज भी विश्व में जारी है।

4. रूस विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र बन गया - उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त तक रूस एक शक्तिशाली देश माना जाता थापरन्तु 1905 ई. में जापान ने उसके इस गौरव को समाप्त कर दिया। इसके उपरान्त रूस की गणना शक्तिहीन राष्ट्रों में होने लगी थी। परन्तु 1977 की क्रान्ति के बाद वह विश्व की महान् शक्ति बन गया था। आज रूस पर आक्रमण करने की कोई सोच भी नहीं सकता। पूर्वी नेता (Eastern Book) भी वहीं है। इतिहासकार पियर्स का कहना है कि, 'इस क्रान्ति के उपरान्त सोवियत रूस आधुनिक विश्व में सबसे शक्तिशाली व महान् राष्ट्र बनने लगा।

5. रूस में राष्ट्रीयता का विकास - जार के शासन काल में रूसवासियों में राष्ट्रीय भावना विशेष रूप से नहीं पाई जाती थी। जापान से परास्त होने पर 1905, रूसवासी अपने शासन से दुःखी होने लगे थे। यही कारण था कि रूस के सैनिक विश्व युद्ध में दिलचस्पी से नहीं लड़ रहे थे। वे हृदय से यही चाहते थे कि युद्ध समाप्त हो जाये। परन्तु इस क्रान्ति के उपरान्त रूसवासियों में राष्ट्रीयता की भावना उग्र रूप से प्रसारित हुई। प्रत्येक रूसी अपने राष्ट्र के लिये बड़े से बड़ा त्याग करने में अपना गौरव समझने लगा और इसी कारण द्वितीय विश्व युद्ध में वह अपने शत्रु से विजयी हुआ।

6. समानता की भावना का उदय - रूस में तत्कालीन असमानता के कारण ही यह क्रान्ति हुई थी। अतः इस क्रान्ति की समाप्ति पर जनसाधारण में समानता की भावना का उदय हुआ। पूंजीपति व भूमिपति समाप्त कर दिये गये। सरकार में श्रमिक वर्ग व कृषक वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हो गया। जार कालीन असमानता समाप्त हो गई।

7. साम्यवाद का प्रादुर्भाव - आज विश्व में साम्यवाद का विस्तार दिनों दिन हो रहा है। इस साम्यवाद का प्रादुर्भाव इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप ही हुआ। इस क्रान्ति के द्वारा ही कार्ल मार्क्स के विचार विश्व में प्रसारित हो रहे है। यद्यपि अभी तक इसका विस्तार अधिक देशों में नहीं हैतथापि इसका प्रभाव दिनों दिन व्यापक होता जा रहा है। पश्चिम के देश साम्यवाद से भयभीत है।

(B) सामाजिक प्रभाव

समानता की भावना का उदय

सामाजिक असमानता इस क्रांति का एक मुख्य कारण थी। क्रांति के बाद रूस में एक नए समाज का उदय हुआजो समानता की भावना पर आधारित था। पुरानी सामाजिक व्यवस्था समाप्त हो गई। पूँजीपतिभूमिपतिधर्माचार्य आदि तत्वों का उन्मूलन कर दिया गया। शासन सत्ता पर श्रमिकों एवं कृषक वर्ग का प्रभुत्व कायम हो गया। जारकालीन असमानता के सभी अवशेषों को नष्ट कर दिया गया।

शिक्षा का विकास

क्रांति के बाद रूस में शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व विकास हुआ। जारकालीन शासन व्यवस्था में शिक्षा प्राप्ति का अधिकार एवं सुविधाएँ कुछ ही परिवारों तक सीमित थी। क्रांति के बाद सरकार ने शिक्षा का काम अपने हाथ में ले लिया और निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था को लागू किया। परिणामस्वरूप 1930 तक रूस की नब्बे प्रतिशत जनता शिक्षित हो गई।

स्त्रियों की स्थिति में सुधार

क्रांति के फलस्वरूप रूस की स्त्रियों की स्थिति में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आया। अब उनका कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक ही सीमित न रहा। वे कारखानोंसरकारी कार्यालयों और सेना में भी काम करने लगी। आर्थिक दृष्टि से वे आत्मनिर्भर बन गई और राजनीतिक क्षेत्र में वे पुरुषों के समान ही सक्रिय भाग लेने लगी। रूसी स्त्रियों की स्थिति में जो सुधार आयाउसका प्रभाव एशिया और अफ्रीका की स्त्रियों पर विशेष रूप से पङा और वे भी राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय हुई।

(C) आर्थिक प्रभाव

सामंतों एवं पूँजीपतियों का सफाया

1917 की बोल्शिवक क्रांति के बाद सरकारी अध्यादेशों के अन्तर्गत पूँजीपतियों से उनके कारखाने छीन लिये गये और उनका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। पूँजीपतियों के स्थान पर अब श्रमिकों की प्रतिष्ठा बढने लगी। इसी प्रकार रूसी सामंत प्रथा का भी सफाया कर दिया गया। उनकी जागीरें छीन ली गयी और भूमि को भूमिहीन किसानों में वितरित कर दिया गया। सामंतों एवं पूँजीपतियों के सफाए से किसानों एवं मजदूरों के शोषण का अंत हो गयाक्योंकि क्रांति ने सभी प्रकार के विशेषाधिकारों को भी समाप्त कर दिया था।

रोटी की समस्या का समाधान

1917 की क्रांति का सूत्रपात रोटी की समस्या को लेकर हुआ था। इसके समाधान की दिशा में पहला कदम रूस को महायुद्ध से अलग करने की दिशा में उठाया गया। इसके बाद सामंतों से भूमि छीनकर उस भूमि को भूमिहीन किसानों में बाँट दिया गया। युद्ध के दौरान धन संपन्न लोगों तथा मुनाफाकोरों ने बहुत बङी मात्रा में खाद्य-सामग्री का स्टॉक जमा कर रखा था। बोल्शेविक सरकार ने इस प्रकार से जमा खाद्य सामग्री को जब्त करके निर्धन मजदूरों में बाँट दिया। इसका परिणाम यह निकला कि खाद्य वस्तुओं के भावों में काफी गिरावट आ गई और लोगों को अब भोजन की व्यवस्था की चिन्ता से राहत मिल गई।

रूस का औद्योगिक विकास

1917 की क्रांति के पूर्व औद्योगिक विकास की दृष्टि से यूरोपीय राज्यों की तुलना में रूस काफी पिछङा हुआ देश थापरंतु क्रांति के बाद रूस ने इस क्षेत्र में आश्चर्यजनक उन्नति की। बङे-बङे बिजलीघरों और कल कारखानों को स्थापित किया गया। परिणामस्वरूप उत्पादन की मात्रा इतनी अधिक हो गयी कि रूस अपनी घरेलू आवश्यकताओं को पूरी करने के बाद उत्पादित माल का निर्यात करने की स्थिति में आ गया। वह आत्म निर्भर औद्योगिक राष्ट्र बन गया।

GET DU SOL NCWEB 5th Semester History | Issues in 20th C World History - I | Unit-1-5 | Complete Notes in Hindi | All Units and Chapters Explain  Click Here

 

LINK

Previous Post Next Post

Contact Form