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6th Semester Education Sec
Education: Media in Education
Unit 1 Part 4
शिक्षा में मास मीडिया: इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल
मीडिया
अध्याय में हम शिक्षा में मास मीडिया के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया की क्या उपयोगिता है उसके बारे में अध्ययन करेंगे।
रेडियो
प्रौद्योगिकी(Technology) और तकनीक के विकास में इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में क्रांति ला दी और लोगों के जीवन को बहुत बड़े स्तर पर आसान बना दिया। सबसे आम माध्यम रेडियो है। रेडियो का प्रसारण एनालॉग तकनीक के साथ आरंभ हुआ, रेडियो एनालॉग माध्यमों द्वारा Frequency माड्यूलेशन पर कार्य करता है।
एनालॉग रेडियो प्राकृतिक आवाज प्रसारित करता है। डिजिटल तकनीक के आ जाने से अब डिजिटल रेडियो उपलब्ध है तथा यह रेडियो डिजिटल मोड पर कार्य करते हैं। इसका अर्थ है कि डिजिटल रेडियो गणितीय व्यवस्था का उपयोग करते हुए आवाज का प्रसारण करते हैं तथा प्रसारण के लिए वह 0-1 बायनरी संख्या का प्रयोग करते हैं। तथा यह तकनीक कंप्यूटर में भी डाटा को स्थानांतरित करने के लिए प्रयोग प्रयोग की जाती है।
रेडियो के माध्यम से किसी भी संदेश को एक समय पर लाखों करोड़ों लोगों तक पहुंचाया जा सकता है वह भी बड़े आराम से। जब रेडियो का उपयोग शिक्षण प्रक्रिया में किया जाता है तो हम इसे शैक्षिक रेडियो कहते हैं।
शैक्षिक कार्यक्रमों को रेडियो पर प्रसारित किया जाता है ताकि दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोग या बच्चे जिनके पास अध्ययन की कोई और तकनीक नहीं है रेडियो के द्वारा शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
रेडियो कार्यक्रमों के आरंभ में विषय विशेषज्ञ द्वारा एक तरफा होता था परंतु कुछ समय बाद विषय छात्र तथा विशेषज्ञों के बीच दो तरफा होता है तथा जो भी चीज छात्र जानना चाहते हैं विशेषज्ञ उन्हें रेडियो के द्वारा बताते हैं।
प्रथम विश्वयुद्ध ने रेडियो को बहुत ही ज्यादा प्रचलित बना दिया था विश्व युद्ध से पहले रेडियो का प्रयोग 1915 में अमेरिका में समाचार प्रसारित करने के लिए किया जाता था। पहला रेडियो स्टेशन पीटर्सबर्ग, न्यूयॉर्क, शिकागो में 1920 में स्थापित किया गया जिसका काम समाचार, खेल समाचार, तथा अन्य कुछ कार्यक्रमों को प्रसारित करना था।
भारत में ऑल इंडिया रेडियो को 1936 में स्थापित किया गया और दैनिक समाचार बुलेटिन का आरंभ हुआ।
1946 में ऑल इंडिया रेडियो को सूचना और प्रसारण विभाग कोई स्थानांतरित कर दिया गया।
भारत में और कई रेडियो स्टेशन की स्थापना की गई 1957 में एक रेडियो स्टेशन या रेडियो चैनल विविध भारती शुरू किया गया जिसने रेडियो के क्षेत्र में लोगों की रुचि और लोकप्रियता को बढ़ा दिया।
स्काई रेडियो चैनल को 1 अप्रैल 1994 को लांच किया गया जिसने अपने सब्सक्राइबर को 20 रेडियो चैनल्स को सेटेलाइट के माध्यम से सुनने में सक्षम बनाया।
डिजिटल रेडियो ने लोगों को रेडियो की तरफ और ज्यादा खींचा। डिजिटल रेडियो के द्वारा लोग कहीं भी बैठकर रेडियो सुन सकते हैं तथा रेडियो के क्षेत्र में भी नए नए प्रोग्राम और नए-नए कार्यक्रमों को लाया गया जिससे लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके उदाहरण के लिए डिमांड पर Podcast के जरिए ऑडियो स्ट्रीमिंग की जाती है तथा जाने-माने लोग रेडियो पर आकर बातें करते हैं।
मन की बात जो कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आरंभ किया गया था यह भी एक रेडियो का कार्यक्रम ही है।
शिक्षा में रेडियो
- रेडियो पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रम और प्रोग्रामों पर लागत कम आती है। तथा लोग रेडियो पर कार्यक्रमों को आसानी से प्रसारित कर पाते हैं।
- अगर कक्षा में टीचर अनुभवी नहीं है तो रेडियो एक अच्छा माध्यम है अध्ययन का।
- रेडियो एक अच्छा माध्यम है अपनी मातृभाषा के अध्ययन का तथा रेडियो पर और भी बहुत सारी भाषाओं के कार्यक्रम आते हैं जिससे कि लोग अपने क्षेत्रीय भाषा को सुन सकते हैं।
- रेडियो के द्वारा कमजोर छात्र अपने अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहीं भी बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है।
- छात्र रेडियो पर बहुत सारी सुन तथा सीख सकते हैं जैसे राजनीतिक बातें, विज्ञान संबंधित चीजें, वैज्ञानिकों के सिद्धांत आदि।
टेलीविजन
टेलीविजन के माध्यम से दृश्य और आवाज दोनों को एक समय पर प्रसारित किया जाता है तथा दर्शक एक समय पर सुख तथा देख सकते हैं। टेलीविजन द्वारा शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रसारण को शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम कहा जाता है।रेडियो के द्वारा प्रसारण पहले एनालॉग मोड में किया जाता था परंतु टेलीविजन में यह प्रसारण डिजिटल मोड में किया जाता है। रेडियो की तरह ही टेलीविजन का भी प्रयोग कई प्रकार के कार्यक्रमों के लिए किया जा सकता है जैसे शैक्षिक कार्यक्रम समाचार, खेल समाचार, अन्यथा अन्य सभी प्रकार की चीजें। टेलीविजन कार्यक्रमों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि छात्रों को पुरस्कृत किया गया दृश्य को देखने के माध्यम से प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त होता है। रेडियो और टेलीविजन दोनों विभिन्न प्रारूपों में तैयार किए जाते हैं जैसे कि बातचीत चर्चा, डॉक्यूमेंट्री, प्रश्न उत्तर , ड्रामा, प्रदर्शन तथा प्रयोग आदि।
टेलीविजन का आविष्कार जॉन लॉगी बेयर्ड ने 1925 में लंदन में किया था। इसके बाद दुनिया के पहले वर्किंग टेलीविजन का निर्माण 1927 में Philo Taylor Farnsworth जिसे 1 सितंबर 1928 को प्रेस के सामने पेश किया गया। पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग 1940 में हुई।
भारत में टेलीविजन केंद्र 5 सितंबर 1959 को प्रसारित हुआ। प्रसारण की सीमा 40 किलोमीटर की थी और कार्यक्रम 20 मिनट के लिए सप्ताह में दो बार प्रसारित किया जाता था। 1970 के दशक में इस अवधि को बढ़ाकर 3 घंटे कर दिया गया जिसमें समाचार सूचना और मनोरंजन कार्यक्रम शामिल किए गए थे।
टेलीविजन उद्योगों को 80 के दशक में आवश्यक बढ़ावा मिला जब दूरदर्शन ने 1982 में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन टीवी पेश किया। 90 के दशक की शुरुआत में और खाड़ी युद्ध के दौरान विकास का दूसरा चरण देखा गया कि सीएनएन, स्टार टीवी और घरेलू चैनल जैसे Zee v और sun tv चैनलों ने 1980 के दशक में सिग्नल को प्रसारण किया उपग्रह के द्वारा।
शिक्षा में टेलीविजन
शिक्षा के क्षेत्र में टेलीविजन एक महत्वपूर्ण तकनीक है। शिक्षा के क्षेत्र में टेलीविजन के द्वारा शिक्षार्थी बहुत सारी चीजें सीख सकते हैं। EDUSAT पहला भारतीय उपग्रह था जो देश के दूरदराज के इलाकों को कक्षा से जोड़ता था। 3 राज्य कर्नाटक महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के तीनों विश्वविद्यालय उपग्रह के माध्यम से जुड़े हुए थे। दूसरे चरण में उपग्रह दो और राज्यों को जोड़ेगा और 1000 से अधिक कक्षाओं को भी जुड़ेगा।
इलेक्ट्रॉनिक टीवी कार्यक्रम के कुछ महत्वपूर्ण प्रकार संवाद, साक्षात्कार, पैनल चर्चा, फोन इन कार्यक्रम, प्रश्न उत्तर, नाटक, वर्चुअल कक्षाएं।
भारत में कुछ पिछले शैक्षिक टेलीविजन प्रोजेक्ट
- माध्यमिक विद्यालय टेलीविजन पर योजना 1961
- दिल्ली कृषि टेलीविजन पर योजना कृषि दर्शन 1966
- सेटेलाइट आदेशात्मक टेलीविजन प्रोग्राम साइट 1975
- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रयोजना 1982
- इग्नू दूरदर्शन टेलीकास्ट 1991
- ज्ञानदर्शन एजुकेशनल चैनल 2000
हाल ही में के लिए शुरू किए गए प्रोग्राम
- श्याम प्रभा- श्याम प्रभाव 34 डीटीएच चैनलों का एक समूह है जो उपग्रह का प्रयोग करके 24x7 आधार पर उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण के लिए समर्पित है प्रतिदिन 4/8 घंटे की नई सामग्री जिसे दिन में 5/3 बार दोहराया जाता है।
- PM eVidhya की प्रमुख पहलू में से 12 PM eVidhya चैनल है जो संबंधित कक्षाओं से संबंधित शैक्षिक सामग्री को प्रसारित करने के लिए कक्षा 1 से 12 के लिए वन क्लास वन चैनल की लाइव कक्षा पर आधारित है।
फिल्में
भारत में फिल्मों का इतिहास का पता 1913 से लगाया जाता है, जब दादा साहेब फाल्के की राजा हरिश्चंद्र की पहली पूर्ण लंबी वाली फीचर फिल्म रिलीज हुई थी। यह पूरे देश में एक बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी।
मुक योग के दौरान भारत में विभिन्न शैलियों में 1000 से अधिक फिल्में बनाई गई। The melody of love 1929 द्वारा भारत में प्रदर्शित द टॉकेज युग को गति प्रदान की भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा 1931 में निर्देशित की गई।
बॉलीवुड भारत का मुंबई स्थित फिल्म उद्योग दुनिया में फिल्मों का सबसे बड़ा निर्माता है जो दुनिया में प्रतिवर्ष 3 बिलियन से अधिक दर्शकों को आकर्षित करता है।
भारत में बड़े स्तर पर अलग-अलग क्षेत्रों के आधार पर तथा अलग-अलग भाषाओं के आधार पर फिल्मों का निर्माण किया जाता है।
शिक्षा में फिल्में
फिल्मों से छात्रों की बहुत सारी चीजें सीख सकते हैं।
- दृश्य देखने वालों के लिए फिल्में महान है: प्रत्येक छात्र कि अपनी सीखने की शैली अलग होती है। छात्र देखकर बहुत जल्दी सीखते हैं तथा कुछ छात्र सुनकर। जो छात्र देखकर बहुत जल्दी सीख जाते हैं उनके लिए टेलीविजन एक बहुत उपयोगी माध्यम है यह विज्ञान जैसे विषयों में विशेष रूप से उपयोगी होता है जैसे सौरमंडल में ग्रहों की गति मानव हृदय के कार्य मंडल आदि।
- किताबों की तरह फिल्में भी छात्रों को विभिन्न पात्रों के जीवन से परिचित करती हैं। फिल्मी छात्रों को दिखा सकती हैं कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में लोग अपना जीवन किस प्रकार व्यतीत करते हैं तथा सामाजिक और भूगोल जैसे क्षेत्रों में टेलीविजन एक विशेष उपयोगी माध्यम है।
- छात्र फिल्मों के द्वारा ही सामाजिक तथा पर्यावरण चिंता हो जैसे मुद्दों से परिचित हो पाते हैं जैसे पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, वायु प्रदूषण को कम करने, वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करना तथा अन्य उद्देश्यों को बनाए रखना।
- फिल्मों के द्वारा छात्र ऐतिहासिक चीजों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर पाते हैं तथा फिल्मों के माध्यम से ही छात्रों को इतिहास की जानकारी हो पाती है जिन क्षेत्रों के बारे में वह किताबों में नहीं पढ़ पाते।
- विदेशी फिल्मों के माध्यम से छात्र अलग-अलग प्रकार की भाषाएं सीख सकते हैं जैसे हॉलीवुड फिल्में देखने से इंग्लिश या फिर जैपनीज फिल्में देखने से जापानी भाषा आदि।
इंटरनेट और वेब
इंटरनेट डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक तकनीक 0 और 1 के रूप में डाटा को जनरेट, स्टोर, प्रोसेस और ट्रांसमिट करती है।
- स्ट्रिंग एक कोड के रूप में कार्य करती है।
1980 के दशक की शुरुआत में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ कंप्यूटर का आकार काफी कम हो गया और पर्सनल कंप्यूटर लोगों के घर और कार्यालय में उपयोग करने के लिए उपलब्ध हो गए थे। कंप्यूटर का उपयोग गेम खेलने, वर्ड प्रोसेसिंग, खाता विवरण बनाने के लिए किया जाता था, कंप्यूटर दुनिया में कहीं और अन्य कंप्यूटर को डिजिटल जानकारी भेजने के लिए सुसज्जित नहीं थी।
Modem के अविष्कार के साथ इससे दुनिया भर में लोगों इंटरनेट चलाने तथा वीडियो गेम जैसे ऑनलाइन गतिविधियों करने में संभव हो गए।
1980 के दशक तक इंटरनेट को नेशनल साइंस फाउंडेशन संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा विकसित किया गया था इस को तीन भागों में बांटा गया था वह निम्नलिखित हैं:
- एक कंप्यूटर कोड जो कि संदेश को एक विशेष व्यक्ति तक भेजने में सक्षम बनाता है।
- इंटरकनेक्टिंग कंप्यूटर की एक श्रंखला जोकि इन संदेशों को विश्व में कहीं भी भेजने का कार्य कर सकती है।
- एक मॉडेम जिसने डिजिटल कंप्यूटर संदेश भेजने के लिए नियमित एनालॉग टेलीफोन लाइन का उपयोग करना संभव बना दिया।
विश्वविद्यालय और निजी कंपनियों ने अपने कार्यालय के लिए इंटरनेट के महत्व को समझा और बड़ी संख्या में कंप्यूटर खरीदना आरंभ कर दिया इंटरनेट का उपयोग करके किए गए कार्य अन्य कार्यों की तुलना में बहुत अधिक लागत प्रभावी हो गए के द्वारा यात्रा नियमित फोन कॉल पर किया जाने वाला खर्च बच गया।
CRM के शोधकर्ताओं ने हाइपरलिंक का आविष्कार किया जो की हाईलाइट किए गए शब्द या चित्र को क्लिक करने पर उपयोगकर्ता को किसी अन्य फाइल से जोड़ता है यहां तक कि किसी दस्तावेज के विशेष भाग से भी।
HTML का उपयोग वेब पेज की संरचना सामग्री और लेआउट को परिभाषित करने के लिए किया जाता है यह उपयोगकर्ताओं से छुपा होता हैं तथा केवल वेब पेज बनाने वाला ही उसे देख सकता है।
इंटरनेट प्रणाली का एक प्रमुख पहलू वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) है। वर्ल्ड वाइड वेब को वेब पज के पते में टाइप करके या किसी दस्तावेज के लिंक पर क्लिक करके सामग्री पर जा सकते हैं जिससे पता चलता है कि विश्व चलित रूप से लिंक कर दिया गया उस जगह को।
वर्तमान में इंटरनेट पर बहुत सारी कंपनियां कार्य कर रही है जैसे सोशल मीडिया ई-कॉमर्स ऑनलाइन एजुकेशन और ऑनलाइन गेम्स जैसी कंपनियां प्रोग्राम सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर, लिंकडइन क्षेत्र में बहुत प्रमुख है।
इंटरनेट पर कोई भी व्यक्ति अपनी मनपसंद चीज को देख सकता है तथा अपना मनोरंजन प्राप्त कर सकता है।
कम लागत तथा अच्छी शिक्षा: इंटरनेट के माध्यम से शिक्षार्थी कम लागत में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं वह इंटरनेट पर वीडियोस देखकर ब्लॉग्स को पढ़कर प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं वीडियो देखने के लिए शिक्षार्थी यूट्यूब का प्रयोग कर सकते हैं जहां पर शिक्षा से संबंधित बड़ी संख्या में वीडियोस उपलब्ध है।
छात्र शिक्षक और सहकर्मी बातचीत: इंटरनेट के माध्यम से छात्र सोशल मीडिया मैसेजिंग एप और चैट एप्स की मदद से अपने शिक्षक अपने मित्रों तथा अपने सहकर्मियों से बातचीत कर सकते हैं और घर बैठे बैठे भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
प्रभावी शिक्षण और सीखने के उपकरण: इंटरनेट एक प्रमुख कारण बन गया है शिक्षा के क्षेत्र में। शिक्षक अपनी सारी सामग्री इंटरनेट पर अपलोड कर देते हैं जिससे कि छात्र कहीं भी बैठकर अपनी नोट्स पुस्तकें शिक्षा कर सकते हैं शिक्षक अपनी वीडियोस भी डाल सकते हैं।
इंटरनेट पर बहुत सारे शैक्षिक ऐप उपलब्ध हैं जो कि छात्रों को बिना किसी खर्च के शिक्षा देते है।
इंटरनेट एक सामान्य व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है तथा प्रत्येक व्यक्ति इंटरनेट से वर्तमान में जुड़ा हुआ है।
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