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6th Semester Education Sec | Education: Media in Education | Unit 2 Chapter 1 | मीडिया संस्कृति को समझना | Chapter Explanation Notes |Offline Exam Notes

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6th Semester Education Sec

Education: Media in Education

Unit 2 Part 1

मीडिया संस्कृति को समझना: विचारों को आकार देना, अनुभव, संवाद और बातचीत

 

लोग निम्नलिखित चारों उद्देश्य के लिए मीडिया का उपयोग करते हैं:

 

आनंदः लोग आनंद प्राप्त करने के लिए मीडिया का प्रयोग करते हैं ऐसे कई तरीके हैं जिनसे मीडिया में मनोरंजन प्रदान करता है, जैसे टेलीविजन कार्यक्रम देखना, उपन्यास पढ़ना, क्रिकेट मैच कमेंट्री सुनना, फेसबुक, Linkdin, इंस्टाग्राम जैसे एप्स पर सोशल नेटवर्किंग की गतिविधियां करना जिससे कि लोगों को आनंद प्राप्त होता है।

 

संगीत: मीडिया उन लोगों के लिए भी बहुत उपयोगी है जो घर पर वरिष्ठ नागरिक, अस्पताल में बीमार रोगियों या ग्रहणीओ की तरह अकेले रहते हैं। वह लोग समाचार देखकर यह संगीत सुनकर अपना मनोरंजन कर पाते हैं।

 

निगरानी: दुनिया में क्या हो रहा है? यह जानने के लिए लोग मीडिया का प्रयोग करते हैं।

  • मीडिया के उद्देश्य से हम गतिविधियां करते हैं:
  • राजनीति समाचार के बारे में जानकारी प्राप्त करना
  • मौसम की जानकारी प्राप्त करना
  • शेयर बाजार के रुझानों को ढूंढना
  • ओलंपिक खेलों के बारे में समाचार
  • समाचार पत्रों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नौकरियों के लिए विज्ञापन पढ़ना
  • ऑनलाइन खरीदारी और बिक्री करने के लिए मीडिया का प्रयोग करना

 

व्याख्या: बहुत से लोग मीडिया का उपयोग ना केवल यह सुनने के लिए करते हैं कि क्या हो रहा है? बल्कि यह भी जानने के लिए करते हैं कि यह कार्रवाई क्यों की गई? लोग कारण खोजने की कोशिश करते हैं। विषयों पर पूर्ण जानकारी के लिए मीडिया का बहुत हद तक प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए हम देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए नेताओं की कार्रवाई को समझने के लिए अखबार के संपादक कॉलम मुख्य बिजनेस जैसी वित्तीय पत्रिकाएं पढ़ सकते हैं।

 

मीडिया संस्कृति को समझना

संस्कृति को सरलतम शब्दों में जीवन के उन तरीकों के रूप में समझा जा सकता है जो समय के माध्यम से समाज के सदस्यों को दिया जाता है और यह समाज को एक साथ बनाए रखता है।

संस्कृति एक ऐसी चीज है जो एक समाज को कुछ तरीके बताती है, जिससे कि वह समाज चलता है। प्रत्येक देश की संस्कृति अलग होती हैं। उदाहरण के लिए जब भारत में मेहमान घर पर आते हैं तो हम लोग हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं, मंदिर में प्रवेश करते समय जूते उतारते हैं, हम ईमानदारी को महत्व देते हैं, भगवान पर विश्वास रखते हैं यह एक देश की संस्कृति है।

इसी प्रकार मीडिया की भी एक संस्कृति होती है, मीडिया लोगों के सामान्य जीवन में अनुभव, सामान्य संस्कृति / उप संस्कृति की भावना पैदा करती है।

 

मीडिया संस्कृति के विचारों को तीन प्रमुख रूप में प्रस्तुत किया जाता है:

 

स्वीकार्य व्यवहार के कोड की पहचान करना: मीडिया हमें ऐसी जानकारी प्रदान करती है जिससे कि हम समाज में स्वीकार्य है। उदाहरण के लिए एक सरकारी कर्मचारी अधिकारी का स्वीकार्य व्यवहार कैसा होना चाहिए? फैशनेबल दिखने के लिए क्या पहनना चाहिए? विपरीत लिंग वाले लोगों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए? मीडिया में इन विचारों को साझा किया जाता है और समाज में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

 

हमारी दुनिया में क्या और कौन मायने रखता है: मीडिया समाज के सदस्य को उन गुणों की भावना प्रदान करता है जिनकी हमें अपने नेताओं से अपेक्षा करनी चाहिए। साथ ही मीडिया हमें यह बताता है कि कौन प्रसिद्ध है जैसे फिल्म स्टार, खिलाड़ी, वैज्ञानिक, राजनीतिक नेता उदाहरण के लिए अब तक छप्पन, खाकी, गंगाजल, सिंघम, दबंग्ग, जंजीर और कई अन्य फिल्में समाज में एक ईमानदार पुलिस अधिकारी की छवि प्रस्तुत करती हैं तथा लोग इन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं।

 

यह निर्धारित करना कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं: मीडिया हमें यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं और हम जैसे लोग दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं उदाहरण के लिए क्या मैं दिखने में अच्छा हूं? क्या मैं एक अच्छा नेता बन सकता हूं?

 

मीडिया साक्षरता: महत्वपूर्ण मीडिया जागरूकता का निर्माण एक मीडिया प्रवर्तक के रूप में कार्य करता है तथा समाज में परिवर्तन लाने की कोशिश करता है।

मीडिया हमें समाज में हो रही गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है परंतु प्रदान की गई सारी की सारी जानकारी सही हो इसकी कोई गारंटी नहीं है|

 

हमारे जीवन में मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसीलिए मीडिया की गंभीरता की जांच करना आवश्यक तथा मीडिया की सीमाओं के बारे में खुद को शिक्षित करना आवश्यक है।

 

मीडिया पर जो भी चीज हम पढ़ते हैं उसका स्वयं मूल्यांकन करना आवश्यक है।

 

लोगों को केवल मीडिया का रिसीवर नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें किसी भी मीडिया सामग्री की सक्रिय रूप से व्याख्या करने उसे आकार देने और अस्वीकार्य करने में आवश्यक होना चाहिए।

 

मीडिया के बारे में जागरूकता विकसित करने के तरीके (मीडिया साक्षरता);

यह समझना कि देखना विश्वास नहीं है: मीडिया साक्षर लोग यह बात जानते हैं कि मीडिया पर प्रस्तुत की गई कोई भी जानकारी मीडिया संगठन या व्यवसायिक घरानों या फिर राजनीतिक दलों द्वारा निर्देशित होती है या हो सकती है इसीलिए वह मीडिया की प्रत्येक बात पर विश्वास नहीं करते। अप टू डेट होना: मीडिया साक्षर लोग मुद्दों पर अपडेट रहते हैं। तथा वह मीडिया का उपयोग अपडेट रहने के लिए बहुत अधिक करते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि आने वाले चुनाव में कौन सा राजनीतिक दल बहुमत की सीटें जीतेगा तो उसे समाचार पत्रों के समाचार, संपादक पत्रिकाएं, नियमित रूप से टेलीविजन पर बहस देखना चाहिए।

 

मीडिया के उपयोग के बारे में जागरूकता: लोगों को मीडिय की सामग्री के उपयोग के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को मीडिया की आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है तथा आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण करना समाचार के विभिन्न रूपों की तुलना को समझना आना चाहिए।

 

मीडिया साक्षरता के सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

 

मीडिया हमारी व्यक्तिगत वास्तविकताओं का निर्माण करता है: मीडिया हमें वास्तविकता की अपनी व्यक्तिगत धारणा बनाने में मदद करती है। जो भी वास्तविकता हम देखते हैं वह मीडिया से आती है। समाचार पत्र का लेख पढ़ते समय, टेलीविजन देखते समय, तथा इंटरनेट सर्फिंग करते समय हम किसी और व्यक्ति द्वारा बनाए गए सामग्री को देख, पढ़, सुन रहे हैं, वह चीज हमारी वास्तविकता बन रही है।

 

मीडिया उदयोग एक दबावों से प्रभावित होता है: मीडिया के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री उन संगठनों द्वारा तैयार की जाती है जो व्यवसायिक सेटिंग के मौजूद होते हैं, जो व्यापारिक घरानों से मुनाफा कमाने के लिए बनाए जाते हैं। तो मीडिया को पढ़ते समय हमें कुछ प्रश्नों के बारे में जरूर सोचना चाहिए जैसे सामग्री को किसने तैयार किया है . उद्देश्य क्या था, उत्पादन वितरण और प्रदर्शन को के लिए किसने भुगतान किया।

 

मीडिया राजनीतिक दबाव से प्रभावित होती है: मीडिया एक ऐसे वातावरण में काम करती है जहां राजनीतिक व्यवस्था काफी हद तक फैली हुई है। तथा यह व्यवस्था मीडिया को काफी हद तक प्रभावित करती है इसका अर्थ है कि व्यक्ति को जागरूक होना चाहिए कि मीडिया के विचार राजनीतिक दबाव में ना हो। मीडिया प्रारूप से विवश हैं। मीडिया के विद्वान ने यह बताया कि हर माध्यम से जैसे टेलीविजन फिल्म पत्रिका कि अपनी विशेषताएं होती हैं कोड और परंपराएं होती हैं सांस्कृतिक वास्तविकता को प्रस्तुत करने के अपने तरीके होते हैं। उदाहरण के लिए एक प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट इस पर निर्भर करती है कि वह किस अखबार यह पत्रिका के लिए लिखी गई थी टीवी पर समाचार के रूप में प्रस्तुत की गई थी किस वेबसाइट के ब्लॉक पर वर्णित है और बड़े पर्दे के लिए एक साथ रखी गई थी।

 

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