DU SOL NCWEB Administration and Public Policy | Unit 2 #3 प्रशासनिक सिद्धांत - मैक्स वेबर का नौकरशाही का सिद्धांत | 1st/2nd/3rd Year and All Semester

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प्रशासन और लोकनीति: अवधारणाएं और सिद्धांत

Administration and Public Policy

5th / 6th Semester

Unit - 2       Part - 3

प्रशासनिक सिद्धांत

मैक्स वेबर का नौकरशाही का सिद्धांत



उनका जीवन और लेखक:


मैक्स वेबर 1864-1920 का जन्म पश्चिम जर्मनी मैं एक व्यवसाई परिवार में हुआ था जो कि वस्त्र निर्माण का कार्य करता था। 1882 मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हैडलबर्ग विश्वविद्यालय से कानून का अध्ययन किया।


उन्होंने कानून विषय पर अनेक लेख लिखे जिसमे की सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक कारकों का उल्लेख किया गया है।


उनके मुख्य लेखों में शामिल है सामाजिक और आर्थिक संगठनों के सिद्धांत सामान्य आर्थिक इतिहास और प्रोटेस्ट विशाल और पूंजीवाद की भावना।


नौकरशाही का अर्थ:


नौकरशाही का सरल अर्थ है डेस्क सरकार। 1745 में फ्रांस के वीन्सेंट डी गुर्नी ने पहली बार नौकरशाही शब्द गढ़ा था। उनके बाद का एक फ्रांसीसी लेखक नौकरशाही शब्द को लोकप्रिय बनाने में लग गए परंतु इसका उपयोग 19वीं शताब्दी में हुआ था।


उनकी राय में आधुनिक समय में काफी ज्यादा आर्थिक प्रतिस्पर्धा है जिसके कारण पूंजीवादी प्रणाली को एक दक्ष संगठन प्रणाली की आवश्यकता है जो कि नौकरशाही प्रणाली है।


प्राधिकार पर मैक्स वेबर के विचार:


मैक्स समाजशास्त्री घटना के रूप में नौकरशाही को परिभाषित करने का प्रयास करते हैं जहां प्रभुत्व के सिद्धांत को सामान्य संदर्भ में समझा जा सकता है।


प्रतिकार शक्ति के प्रयोग को वैध बनाता है जहां एक व्यक्ति स्वेच्छा से आदेशों और आज्ञाओ का पालन करता है।


प्राधिकार के प्रकार

  • करिश्माई प्राधिकार

  • परंपरागत प्राधिकार

  • विधिक तार्किक प्राधिकार


करिश्माई प्राधिकार- करिश्मा शब्द की व्याख्या मनोहरता अता के उपहार के रूप में की जा सकती है। करिश्माई नेताओं के पास कुछ व्यक्तिगत गुण है जो कि उन्हें सामान्य आदमियों से अलग बनाते हैं। वह हीरो मसीहा या कोई पैगंबर हो सकते हैं और उनके जादुई शक्तियों के कारण उनकी व्यापक स्तर पर स्वीकृति होती है जो की वैधता प्रणाली का आधार होता है। करिश्माई नेताओं के अनुयाई उनमें पूरी निष्ठा रखते हैं। प्राधिकार के इस प्रकार का प्रशासनिक तंत्र स्थिर और बहुत ही ढीला होता है क्योंकि इनमें अनुयाई नेताओं के पसंद और नापसंद के अनुसार काम करते हैं।


परंपरागत प्राधिकार- परंपरागत प्राधिकार अतीत की अच्छाइयों से अपनी वैधता करता है जहां कारे परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित होते हैं। जो व्यक्ति इस पर अधिकार का प्रयोग करता है उन्हें स्वामी कहा जाता है और जो स्वामी की आज्ञा का पालन करते हैं उन्हें अनुयाई कहा जाता है।


विधिक तार्किक प्राधिकार- विधिक तार्किक प्राधिकार के अंतर्गत संगठनों के कई सदस्यों पर नियम न्यायिक रूप से लागू होते हैं। आधुनिक समाज में प्राधिकार प्रभुत्व शाली भूमिका निभाता है। यह विधिक है क्योंकि यह व्यवस्था नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है। यह तार्किक है क्योंकि यह स्पष्ट तौर से परिभाषित है और इस प्रकार का प्रयोग करने वाले सदस्यों को वरिष्ठ अधिकारी के रूप में निर्देशित किया जाता है।


वेबर की नौकरशाही पर विचार-


वेबर नौकरशाही का उल्लेख प्रशासनिक कार्यों में नियुक्त अधिकारियों के रूप में संदर्भ में करते हैं। वेबर मानते हैं कि विधिक तार्किक प्राधिकार नौकरशाही से मुख्य स्थान होता है। वेबर के लिए नौकरशाही प्रशासन से तात्पर्य ज्ञान की शक्ति के द्वारा प्रभुत्व से है विशेष तौर पर तार्किकता इसका मूल गुण है।


संगठन के आधुनिक स्वरूप का विकास जो कि नौकरशाही प्रशासन के निरंतर विस्तार और विकास से मेल खाता है। क्योंकि नौकरशाही प्रशासन हमेशा ही सामान्य परिस्थिति में रहता है और औपचारिक और तकनीकी तौर से काफी तार्किक प्रकार का होता है।


मैक्स वेबर के अनुसार बड़े स्तर पर प्रशासन के लिए नौकरशाही एक कुशल यंत्र है जो कि काफी विकसित हो चुका है और आधुनिक सामाजिक व्यवस्था इस पर बहुत अधिक निर्भर है।


नौकरशाही की विशेषताएं-

  • यह नौकरशाही स्पष्ट श्रम विभाजन पर आधारित है। इसमें प्रत्येक कर्मचारी को कुछ निश्चित उत्तरदायित्व पर जाते हैं और विधिक सप्ताह की शक्ति भी दी जाती है।

  • इस नौकरशाही में कार्य करने की प्रक्रिया पूर्व निर्धारित होती है।

  • इसमें कर्मचारियों को पद सोपानों में बांट दिया जाता है।आदेशों की एकता के सिद्धांत को प्रभावी बनाने के लिए इसमें आदेश ऊपर से नीचे आते हैं और संगठन एक पिरामिड की तरह होता है।

  • इसमें कार्यो के निष्पादन के लिए विधि पूर्वक व्यवस्था होती है। इसमें व्यक्ति को वही कार्य सौंपा जाता है जिसमें वह कुशल होता है।

  • इसमें पद के लिए योग्यता निर्धारित करती है। इसमें उन्हीं व्यक्तियों का चयन होता है जो उस पद हेतु निर्धारित योग्यता व दक्षता रखते हैं

  • इसमें कर्मचारियों को वेतन पदसोपान मैं उनके स्तर, पद के दायित्व, सामाजिक स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है।

  • यह नौकरशाही अनौपचारिक सिद्धांतों की बजाय औपचारिक सिद्धांतों पर आधारित होती है। इसमें निर्णय व्यक्तिगत पूर्व ग्रहों की वजह औचित्य के आधार पर नियमों की परिधि में रहकर ही लिए जाते हैं।

  • इसमें संगठन के निर्णय और गतिविधियों का आधिकारिक रिकॉर्ड रखा जाता है। इस कार्य में फाइलिंग प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।

  • इसमें कार्य अनुशासन पर जोर दिया जाता है

  • इसमें कर्मचारी तथा उसके कार्यालय में भेद किया जाता है।


नौकरशाही की सीमाएं:


  • सामूहिक करण- सामूहिक करण सिद्धांत एकाधिकार तंत्र इसके विपरीत है। मैक्स वेबर कहते हैं कि एकाधिकार तंत्र नौकरशाही के प्रति पदसोपान स्तर पर केवल एक व्यक्ति ही होता है। परंतु जैसे ही निर्णय निर्माण में 1 से ज्यादा लोग शामिल होते हैं वैसे ही सामूहिक करण के सिद्धांत का प्रारंभ होता है।

  • शक्ति का विभाजन- शक्ति के विभाजन का अर्थ है कि एक ही उत्तरदायित्व या कार्य को दो या दो से अधिक निकायों में बांटना। इसमें सभी संबंधित निकायों को समझौता करना पड़ता है ताकि वह किसी एक निर्णय पर पहुंच सके।

  • अव्यवसायिक प्रशासन-अव्यवसाय प्रशासनके अंतर्गत प्रशासन उन लोगों द्वारा चलाया जाता है जिनके आदेश का सार्वजनिक सम्मान और सामान्यता विश्वास हो और उनके कार्य लाभकारी हो।।

  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र- प्रत्यक्ष लोकतंत्र भी नौकरशाही की शक्ति को सीमित करता है।। इस व्यवस्था के अंतर्गत अधिकारों का निर्देशन किया जाता है और वह सभा के प्रति ही जवाबदेही होते हैं। इसके कई रूप हो सकते हैं जैसे कुछ समय के लिए कार्यालय में बाहरी, लॉटरी से चुनाव और वापस बुलाने की संभावना।

  • प्रतिनिधित्व-लोगों को निर्वाचित प्रतिनिधि नौकरशाही के प्राधिकार को साझा करते हैं जो कि नौकरशाही की शक्ति को नियंत्रित या सीमित करने में मदद करते हैं। परंतु यह संभावना भी है कि इन प्रतिनिधियों का नौकरशाही करण ही हो जाए।


नौकरशाही सिद्धांत की आलोचना:


मैक्स वेबर की नौकरशाही प्रतिमान की आलोचनाएं निम्नलिखित है-

  • सामान्य इच्छा की अपेक्षा-आलोचकों के अनुसार मैक्स वेबर की नौकरशाही प्रतिमान में मानव व्यवहार मानव संबंध मानवीय इच्छा जैसे तत्वों की अवहेलना की गई है। नौकरशाही में जन इच्छा की अपेक्षा वैधानिक नियमों को अधिक महत्व दिया जाता है।

  • बंद प्रणाली प्रतिमान - नौकरशाही व्यवस्था सदैव नियम व सिद्धांतों पर दृढ़ रहती है अंत है इसे बंद प्रणाली प्रतिमान भी कहा जाता है बाहे तत्वों की अपेक्षा करने के कारण नौकरशाही को मशीनें सिद्धांत भी कहा जाता है।

  • निरंकुशता- नौकरशाही में अपने पद स्थिति के कारण निरंकुशता का भाव आ जाता है। वह नियमों व सिद्धांतों के साथ अपनी बात पर अडिग रहते हैं। लॉर्ड हीवर्ट के ने अपनी पुस्तक नवीन निरंकुशता में इंग्लैंड की नौकरशाही का वर्णन किया है।

  • व्यवसायिक विकृति- रॉबर्ट के मटर्न के अनुसार नौकरशाही संगठन में नियमों की कठोरता इस सीमा तक पाई जाती है कि व्यक्ति को अपने कार्य के प्रति मानसिक संताप होने लगता है। वारनाट ने इसे व्यवसायिक विकृति का नाम दिया है।

  • लचीलापन का अभाव- नियम व सिद्धांतों में वर्षा के कारण संगठन में लचीलापन का अभाव रहता है। अधिकारी अपने पूर्व प्रशिक्षण को तो दृष्टिगत रखते हैं किंतु परिवर्तित परिस्थितियों की अवहेलना करते हैं। यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी सिद्ध होती है।।

  • औपचारिकता परवल - नौकरशाही नियमों के प्रति प्रतिबद्ध रहकर सभी के साथ समान व्यवहार करती है। किसी के भी साथ किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

  • शक्ति का दुरुपयोग- नौकरशाही का नियंत्रण पूरी प्रशासनिक तंत्र पर होता है। ऐसे में वे नियम को तोड़ने व मनमानी करने में भी कोई संकोच नहीं करते। वह सरकारी मशीनरी का प्रयोग  स्वम के हित के लिए करने लगते हैं। साथ ही एक दूसरे की त्रुटियों को छुपाने का भी प्रयास करते हैं।


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