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DU SOL NCWEB 3rd/4th Semester Education (Discipline Course) | Chapter 2 (सोच और सीखने को प्रभावित करने वाले कारक) |

The Learners Community and Technology

3rd/4TH SEMESTER EDUCATION (Discipline)

Chapter - 2


सोच और सीखने को प्रभावित करने वाले कारक : व्यक्तिगत, सामाजिक सांस्कृतिक, मीडिया और प्रौद्योगिकी





सीखना हमारे लिए मौलिक है क्योंकि यह हमारे जीवन का एक हिस्सा है। यह स्वाभाविक रूप से विकास के माध्यम से आता है। सीखना व्यवहार में किसी भी बदलाव को प्रदर्शित करता है। जब हम किसी कार्य को बार-बार करते हैं तो वह हमारे व्यवहार का एक हिस्सा बन जाता है और हम उस कार्य को सीखने के साथ-साथ उसमें कुशल भी हो जाते हैं।


दोनों प्रक्रिया सीखना और सूचना के दौरान हमारे मस्तिष्क सक्रिय होता है। सोचने सीखने हमारे दैनिक कार्यों का एक हिस्सा है।सोचने की प्रक्रिया के दौरान हम अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हैं और कुछ सीखते समय हम अपने दिमाग दिल और शरीर का इस्तेमाल करते हैं।


सीखने के विचार :- सीखने के मनोवैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग विचार हैं वह विचार निम्नलिखित है 


  • व्यवहारवादी दृष्टिकोण :- व्यवहारवादी कहते हैं कि लोग अभ्यास से सीखते है लोग जब किसी कार्य को अपने व्यवहार के रूप में करते हैं तो वह उस कार्य से कुछ सीखते हैं और बाद में यह कार्य उनकी एक प्रकार से आदत बन जाती है। उदाहरण के लिए जब कोई बच्चा गणित में पहाड़े दिन प्रतिदिन दोहराता है तो वह पहाड़े उसे याद हो जाते हैं और वह एक प्रकार से उन्हें सीख जाता है।

  • सीखने का संज्ञानात्मक दृष्टिकोण :- संज्ञानात्मक सिद्धांत कारों का मानना है कि सीखना एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह व्यवहार परिवर्तन तक सीमित नहीं है यह किसी व्यक्ति की संज्ञानात्मक संरचनाओं में परिवर्तन लाता है।

  • मनोवैज्ञानिक रचना वादी दृष्टिकोण :- जब कोई व्यक्ति समाज में जुड़ कर कई प्रकार की प्रक्रियाओं में हिस्सा लेता है तो वह उन प्रक्रियाओं से कुछ सीखता है उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान एक बच्चे के द्वारा अखबार में यह विज्ञापन पढ़ा गया कि मास्क लगाना जरूरी है और उस बच्चे ने इस आदत को अपनाया और मास्क लगाना शुरू कर दिया तो एक प्रकार से इसने कुछ समाज के द्वारा सीखा।

  • सामाजिक रचनावादी :- व्यक्ति समाज में अपने चारों ओर से कुछ ना कुछ सीखता है व्यक्ति इस चीज को अनदेखा नहीं कर सकता।

  • सीखने का मानवतावादी दृष्टिकोण :- इनका दृष्टिकोण यह मानता है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति सीखने में सक्षम है लेकिन अपने अपने तरीकों से हम सभी एक पैटर्न का प्रयोग करते हैं कुछ सीखने के लिए। यदि एक शिक्षार्थी को प्यार से पाला जाए तो उसका परिणाम भी प्यार ही होगा सीखने का यह दृष्टिकोण केंद्र स्थान पर जोर देता है।


सोचना और सीखने को प्रभावित करने वाले कारक :- हम जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कभी समाप्त नहीं होती इस प्रक्रिया में कई ऐसे तत्व हैं जो हमें प्रभावित करते हैं वह तत्व निम्नलिखित हैं :- 

व्यक्ति के हित, प्रेरणा, जरूरतें, रिश्ते, पर्यावरण, उम्र, समाजवादी इनकी प्रकृति के आधार पर इन्हें चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है :- व्यक्तिगत कारक, सामाजिक कारक, मीडिया और प्रौद्योगिकी यह कारक अलग-अलग क्षेत्र में हमारे सीखने और सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

उदाहरण के लिए यदि शिक्षक और माता-पिता से अधिक एक शिक्षार्थी सीखने लगता है तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि वह अपने शिक्षार्थियों का मार्गदर्शन करने में सक्षम होगा और एक बेहतर शिक्षक बन सकता है।


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व्यक्तिगत कारक :- यह ऐसे कारक हैं जो केवल व्यक्ति से संबंधित होते हैं यहां व्यक्तिगत का तात्पर्य है कि एक व्यक्ति के अंदर से प्रभाव आता है।


  1. प्रेरणा  :- सेना को हम किसी व्यक्ति के आंतरिक स्थिति के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जो उस व्यक्ति को सोचने और कुछ सीखने के लिए अगुवाई करता है उदाहरण के लिए जब किसी व्यक्ति को किसी प्रकार से प्रेरणा मिलती है कुछ सीखने के लिए तो वह उस वस्तु को सीखने और समझने मैं पूरा ध्यान देता है। अगर किसी परिवार में पिता फिल्म बनाने में कार्य करता है तो उसकी परिवार के अन्य सदस्य को भी इस चीज से प्रेरणा मिलती है और वह भी इसी कार्य को सीखने और समझने के लिए कार्य करते हैं। प्रेरणा के प्रकार :- आंतरिक प्रेरणा चाहिए प्रेरणा।

  2. बौद्धिक क्षमता :- कुछ व्यक्तियों को बौद्धिक क्षमता होती है कुछ सीखने और उसके बारे में सोचने में। कई व्यक्तियों को शुरुआत में इस क्षमता के बारे में पता नहीं होता परंतु जब वह इस क्षमता को प्राप्त कर लेते हैं तो वह सोचने और समझने की प्रक्रिया को भी समझ जाते हैं। यह क्षमता उन व्यक्तियों को नई नई स्थितियां प्रदान करता है जिससे उनकी सोचने और सीखने में उनकी रुचि बढ़ती है।

  3. स्वास्थ्य :- मानव के सोचने और सीखने को प्रभावित करने में स्वास्थ्य का भी एक महत्वपूर्ण योगदान है जो व्यक्ति स्वास्थ्य से संपूर्ण होगा उसका मन सोचने और कुछ नया सीखने के लिए उत्सुक होगा और वह किसी वस्तु को सीखने में अपना पूरा ध्यान देगा परंतु वही जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य निम्न स्थिति में या फिर खराब स्थिति में होगा वह अधिकांश चीजें सीखने में नहीं होगा और वह आलस के कारण कुछ भी नहीं सीख पाएंगे। जिन बच्चों का स्वास्थ्य स्वस्थ होता है उनको कुछ सीखने और समझने में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वह विद्यालय में अधिक सफलता नहीं पाते और उनके ग्रेड भी बहुत ही खराब होते हैं।

  4. आयु और परिपक्वता - सीखने की तैयारी :- आयु और परिपक्वता सीखने और सोचने को बहुत महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं क्योंकि किसी बच्चे या व्यक्ति की अगर आयु सीखने या कुछ समझने की नहीं है तो वह कुछ नहीं सीख पाएगा अर्थात अगर कोई बच्चा अधिकांश छोटा है तो वह कुछ चीजें समझ पाएगा परंतु अधिकांश चीजें नहीं समझ पाएगा वहीं अगर कोई बच्चा बौद्धिक रूप से परिपक्व है तो वह प्रत्येक चीज को समझने में अधिकांश रूचि लेगा और उसे चीजों को समझने में अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। परिवार को बच्चों को उपयोग आयु में बच्चों को चीजें समझने और सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

  5. ध्यान देना :- ध्यान देना से तात्पर्य है कि अगर बच्चों या व्यक्ति पर सीखने और समझने की प्रक्रिया के तहत ध्यान ना दिया जाए तो वह किसी भी चीज को सीखने जा समझने में असमर्थ होते हैं । ध्यान के दो प्रकार हैं :- सक्रिय ध्यान और निष्क्रिय ध्यान ।

  6. भावनाएं

  7. स्वयं अवधारणा


सामाजिक सांस्कृतिक कारक :- सामाजिक और सांस्कृतिक कुछ ऐसे कारक हैं जो व्यक्ति के आसपास के वातावरण में मौजूद होते हैं और उसे सीखने और समझने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। 

  • परिवार :- यह पहला वातावरण है जो बच्चा जन्म लेने के बाद अनुभव करता है यह समाज की सबसे छोटी इकाई है यहीं से बच्चा सोचने और समझने की प्रक्रिया को आरंभ करता है।

  • माता पिता :- परिवार के अंदर माता-पिता का बच्चे की शिक्षा में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है अगर माता-पिता स्वास्थ्य संबंधी और बच्चे को अच्छा ज्ञान देंगे तो बच्चा का व्यवहार अच्छा होगा और वह सोचने और समझने की प्रक्रिया में भी निपुण होगा परंतु वही अगर परिवार में कई प्रकार  की समस्याएं समस्याएं होती हैं तो बच्चा इन चीजों से बहुत अधिक प्रभावित होता है

  • सहकर्मी :- परिवार के बाद बच्चे के दोस्त और उसके साथी ही अन्य महत्वपूर्ण कड़ी है हर बच्चे को अच्छे व्यवहार और अच्छी सोच समझ रखने वाले साथी मिलते हैं तो बच्चा भी उनकी तरह सोचने और समझने की क्षमता को विकसित करता है परंतु अगर उसको गलत वातावरण में साथी प्राप्त होते हैं तो यह उसकी सोचने और समझने की क्षमता को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं।


  • पड़ोसी और समुदाय


  • स्कूल संस्कृति शिक्ष


  • सीखने की जगह


  • सामाजिक सांस्कृतिक विविधता


मीडिया और प्रौद्योगिकी :- मीडिया संदेश प्रसारित और वितरित करने का एक साधन है वर्तमान में मीडिया बहुत ही अधिक प्रसिद्ध है प्रत्येक व्यक्ति मीडिया और प्रयोग इसी से जुड़ा हुआ है तथा यह चीजें व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता को बड़े स्तर पर प्रभावित करते हैं।

प्रिंट मीडिया ने बच्चों के शैक्षिक क्षेत्र में बहुत ही बड़ा योगदान दिया है वर्तमान में प्रिंट मीडिया के द्वारा व्यक्ति को नई-नई वस्तुओं के बारे में पता चलता है तथा उनके बारे में सोचने और समझने की रूचि भी रखता है।


वर्तमान में बच्चे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और अन्य प्रकार के प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं जिसके कारण उनके सोचने और समझने की क्षमता में काफी हद तक कमी आई है जिस प्रकार का विवरण सोशल मीडिया पर और मीडिया पर दिया जाता है बच्चों की सोचने की और समझने की क्षमता वहीं तक सीमित हो जाती है।

मीडिया के मोटे तौर पर दो प्रकार में विभाजित किया जाता है प्रिंट मीडिया और गैर प्रिंट मीडिया।

मीडिया बच्चों के लिए कुछ हद तक बहुत ही उपयोगी है परंतु जब है उस हद से आगे चले जाते हैं तो वह उनके लिए परेशानी का कारण बन जाती है।



प्रौद्योगिकी :-प्रौद्योगिकी की नई भी शिक्षण के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है सरल शब्दों में प्रौद्योगिकी  विज्ञान या ज्ञान है ।


प्रौद्योगिकी के निम्नलिखित लाभ :- 

  • यह सूचना और ज्ञान तक बेहतर पहुंचाने का साधन है।

  • इसके द्वारा बच्चे इंटरनेट की सहायता से नई नई चीजें सीख सकते हैं तथा विभिन्न प्रकार की चीजों में भाग ले सकते हैं और ऑनलाइन गतिविधियां कर सकते हैं।

  • इसके द्वारा व्यक्ति स्वयं खुद कुछ भी सीख सकता है।



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