4th Semester (DISCIPLINE) Education Chapter 6 | Understanding Human Learning and Cognition | Notes in Hindi | DU SOL NCWEB

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DU SOL NCWEB 

4th Semester Education (DISCIPLINE)

Understanding Human Learning and Cognition

Unit 6

सूचना प्रसारण दृष्टिकोण के अनुरूप अधिगम की अवधारणा

 

अधिगम की प्रकृति

 

किसी भी जीव के पूरे जीवन काल में अधिगम या सीखने की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सभी प्रकार की जीवन क्रियाएं अधिगम या सीखने से संबंधित है।

 

  अधिगम सार्वभौमिक है - इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक जीव अपने जीवन में कुछ ना कुछ जरूर सीखता है। मानव तंत्रिका तंत्र बहुत ही जटिल है और इसी प्रकार मानव प्रतिक्रियाएं और भी जटिल है।

  अधिगम अनुभव के माध्यम से है- अधिगम में किसी ना किसी प्रकार का अनुभव शामिल है चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। इससे तात्पर्य है कि प्रत्येक व्यक्ति जब कुछ सीखता है तो वह एक प्रकार से अनुभव प्राप्त करता है।

  अधिगम निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है- अधिगम सीखने की आजीवन प्रकृति को दर्शाता है। मानव प्रतिदिन अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करता है और उसे अपनी जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाने के लिए नई-नई चीजें सीखनी पड़ती हैं।

  व्यवहार में परिवर्तन का परिणाम है- जब जीव कुछ सीखता है तो उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है और यह परिवर्तन उसके आसपास के लोग भी महसूस कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई बच्चा शिष्टाचार सीख रहा है तो वह सब को आदर सहित सत्कार करेगा जिसको आसपास का माहौल देख सकता है।

  अधिगम एक समायोजन है- अधिगम या सीखना एक प्रक्रिया है जिसके कारण व्यक्ति को नई परिस्थितियों में खुद को पर्याप्त रूप से समायोजित करने में सहायता मिलती है। उदाहरण के लिए अगर कोई बच्चा पढ़ना सीख रहा है तो वह रोज पढ़ते-पढ़ते, उसको अपनी आदत बना लेगा जिससे उसको दैनिक जीवन में भी सहायता मिलेगी।

  अधिगम अपेक्षित एक स्थाई परिवर्तन है- यदि आप कई वर्ष पहले साईकिल सीखे चुके हैं और आपने कुछ समय से साइकिल नहीं चलाई तो आप कुछ ही मिनटों में अभ्यास करके साईकिल चलाने में कुशल हो सकते हैं।

  वृद्धि और विकास के रूप में अधिगम- अधिगम कभी समाप्त होने वाली वृद्धि और विकास है। अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जो आजीवन चलती है और सीखी गई चीजें आपको आजीवन काल तक याद रहते हैं। वुडवर्थ के अनुसार वे सभी गतिविधियां जो मानव का विकास करती हैं उन्हें अधिगम कहा जा सकता है।

  अधिगम का अप्रत्यक्ष रूप से अवलोकन नहीं किया जा सकता- अधिगम का अध्ययन करने का एकमात्र तरीका कोई ना कोई व्यवहार है जिस का अवलोकन किया जा सकता है। वास्तव में अधिगम का निरीक्षण नहीं कर सकते। हम केवल वही देखते हैं जो प्रदर्शन करने से पहले प्रदर्शन करते समय और प्रदर्शन करने के बाद दिखाई देता है।

 

अधिगम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -

  अधिगम में गतिविधियां शामिल है।

  अधिगम में परिवर्तन सम्मिलित है।

  परस्पर बातचीत व्यवहार अधिगम का जरूरी लक्षण है।

  अधिगम करते वक्त चिंतन आवश्यक है।

  अधिगम और जीवन चलने वाली प्रक्रिया है।

  अधिगम समस्या को सुलझाने से संबंधित है।

  अधिगम उद्देश्य पूर्ण होता है।


सूचना प्रसारण अधिगम-



 

सूचना प्रसारण सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि मनुष्य अपनी इंद्रियों से प्राप्त जानकारी को सक्रिय रूप से संशोधित करता है, जैसे कंप्यूटर करता है। सीखना वह है जो हो रहा है, जब हमारा दिमाग जानकारी प्राप्त करता है उसे रिकॉर्ड करता है उसे मोल्ड करता है और उसे स्टोर करता है।

सूचना प्रसारण सिद्धांत में, जैसे कि छात्र जानकारी लेता है उस जानकारी को पहले सापेक्ष में संवेदी भंडार के रूप में संग्रहित करता है फिर अल्प विधि या कार्यशील स्मृति में चले गए और फिर या तो भुला दिया गया या दीगर काले स्मृति में स्थानांतरित कर दिया गया जैसे-

 

  सीमेंटिक यादें (अवधारणा और सामान्य जानकारी)

  प्रक्रियात्मक यादें (प्रक्रियाएं)

  इमेजेस

 

सीखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जानकारी को शर्ट टर्म मेमोरी से लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि हमारे पास एक समय में हमारी शॉर्ट टर्म मेमोरी में केवल 7 से अधिक जानकारी होती हैं, तो हमें एक अधिभार मिलता है जिसे संज्ञानात्मक कहा जाता है।


सूचना प्रसारण का पहला चरण-


संवेदी स्मृति, सूचना प्रसारण के पहले चरण का प्रतिनिधित्व करती है। यह स्मृति दृष्टि, श्रवण आदि जैसी इंद्रियों से संबंधित है। यह स्मृति में सूचना को बहुत ही कम समय के लिए रखती है केवल उतने ही समय के लिए जितना समय सूचना को आगे के चरणों से संसाधित करने के लिए पर्याप्त है।

उदाहरण के लिए आप एक अंधेरे कमरे में है जिससे आप परिचित नहीं है आपने एक माचिस की तीली जलाई और केवल 1 सेकंड के लिए अपने कमरे को देखा रोशनी के द्वारा तो आपने जो चीजें देखी वही आपको याद रहेंगी वह भी कुछ समय के लिए। पांच इंद्रियां (दृष्टि श्रवण स्पर्श सूंघने और चखने)

 

संवेदी स्मृति की विशेषताएं निम्नलिखित है-


- यह सुनने देखने आदि इंद्रियों से संबंधित है।

- यह सूचना को बहुत कम समय के लिए धारण करके रखती है केवल उतने समय के लिए जितने समय के लिए सूचना अगले चरण में संशोधित करने के लिए पर्याप्त है।


सूचना प्रसारण का दूसरा चरण-

अल्पकालिक स्मृति एक स्थाई कार्यशील स्मृति के रूप में कार्य करती है। स्तर पर सूचना की आगे की प्रक्रिया होती है ताकि जानकारी लंबी अवधि के भंडारण या प्रतिक्रिया के लिए तैयार हो जाए।

 

अल्पकालिक स्मृति की विशेषताएं - 

- यह वह चरण है जहां सूचना को शीघ्र कालिक भंडारण के लिए तैयार करने के लिए आगे की प्रक्रिया होती है।

- यह सीमित समय के लिए जानकारी धारण करती है।

- इसमें सीमित मात्रा में जानकारी होती है।

 

अगले चरण में प्रसारण के लिए चुनी गई जानकारी कार्यशील मेमोरी में आती है जिसे शॉर्ट टर्म मेमोरी या शार्ट टर्म स्टोर के रूप में जाना जाता है।

 

रिहर्सल / पुनः अभ्यास-

 

जब हम किसी कार्य को बार-बार करते हैं तथा उसका पुनर अभ्यास करते हैं तो उस कार्य को करने की हमारी क्षमता बढ़ जाती है और हम उस कार्य में कुशल होते चले जाते हैं एक प्रकार से वह कार्य करने की प्रक्रिया हमारे मस्तिष्क में दीर्घकालिक समय के लिए बन जाती है।

 

अधिक जटिल कार्य और सार्थक जानकारी के मामले में पुन: अभ्यास काफी नहीं है इसके लिए एनकोडिंग कूट लेखन भी बहुत आवश्यक है।

 

एनकोडिंग उन चीजों या बातों को स्थाई बनाने के लिए कार्य करता है जो धारण और ध्यान की प्रक्रिया से शुरू किए हैं। जब जानकारी संबंधित प्रतीत होती है तो शिक्षार्थी इसे सीखने के लिए सामग्री पर अपना स्वयं का व्यक्ति पर तरीका लगाते हैं।


सूचना प्रसारण का तीसरा चरण-

 

दीर्घकालिक स्मृति सूचना के स्थाई भंडार का प्रतिनिधित्व करती है जिन चीजों को लंबे समय तक कि याद रखना है उन्हें शर्म से लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्थानांतरित कर देना चाहिए।

माना जाता है कि जो भी जानकारी दीर्घकालिक स्मृति मैं संसाधित होती है वह वास्तव में कभी नहीं होती।

 

मुख्य विशेषताएं-

-    इसमें सीमित मात्रा में और विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को बनाए रखने की क्षमता है।

-    यह सूचना का स्थाई भंडार है।

-    यह स्मृति में संसाधित की गई जानकारी वास्तव में कभी नहीं होती और लंबे समय के लिए मानव मस्तिष्क में ध्यान में रहती है।

 

एक बार जानकारी को दीर्घकालिक स्मृति में संग्रहित कर लिया जाता है चाहे वह किसी भी रुप में हूं इसे उपयोग के लिए पुनर प्राप्त किया जा सकता है समय के साथ रखा जा सकता है या भुला दिया जा सकता है।

 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कंप्यूटर के जन्म ने मानव सभ्यता में सोचने सीखने और ध्यान रखने की प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया और मानव को एक नई दिशा दिखाई सीखने याद रखने के क्षेत्र में।

 

प्रश्न

 

अधिगम के लिए सूचना प्रसारण उपागम का अर्थ स्पष्ट करें।

 

सूचना प्रसारण उपागम के तीन महत्वपूर्ण चरणों के नाम बताइए और उनकी व्याख्या करें।

 

सीखने / अधिगम की प्रकृति का वर्णन करें।

  

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